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नए जीएसटी के संशोधन के बाद वाहन नियमों पर कानून ज्यादा सख्त हैं

केंद्रीय बजट के भीतर प्रस्तावित जीएसटी अधिनियम में संशोधन के बाद, इनपुट कमी की अनुमति देने के लिए सिद्धांत सख्त हो जाएंगे। जीएसटीआर -1 में घोषित बिक्री और डेबिट नोटों पर देय कर को भी जीएसटी 3 बी के अंतिम रिटर्न के भीतर स्वीकार करना होगा। कर विशेषज्ञ संतोष कुमार गुप्ता ने गुरुवार को टैक्स बार एसोसिएशन के जीएसटी कानून के संशोधन पर आयोजित एक सेमिनार के दौरान यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि जब तक व्यापारी इनपुट घटने के लाभ के लिए अपने GSTR-1 में बिक्री चालान अपलोड नहीं करता है, तब तक इनपुट घटने का लाभ क्रय व्यापारी को मान्य नहीं होगा। GSTR-2B में देखा गया एक समकक्ष इनपुट घटने वाला है। व्यवसायी भी पांच प्रतिशत वृद्धि का दावा करने के लिए तैयार नहीं होंगे। वहीं, धारा 129 (3) के तहत, मोबाइल पार्टियां उत्पादों और वाहनों को छोड़ने के लिए वाहन स्वामी से दोगुना जुर्माना जमा करेंगी। अब सामान और वाहन बैंक गारंटी पर नहीं रहेंगे। 15 दिनों के भीतर जुर्माना जमा करने की असफलता समाप्त हो जाएगी। फिर जब्त सामानों को बेचकर उनकी भरपाई की जा रही है। जब तक ट्रांसपोर्टर या वाहन मालिक अधिकतम 1 लाख रुपये का जुर्माना जमा करता है, तब तक वाहन छूटने को तैयार है। 25 फीसदी जुर्माना जमा करने के बाद ही मोबाइल पार्टी के आदेश के खिलाफ अपील दायर की जाती है। अध्यक्ष वीके निगम ने भी विचार व्यक्त किए। इसकी अध्यक्षता एसके श्रीवास्तव ने की थी। संचालन महासचिव आशीष पांडे ने किया और धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ उपाध्यक्ष एसके वर्मा ने किया। सूर्यवर्धन पांडे, राजेश कुरील, आरबी पांडे, हरिओम गुप्ता, एस मनु, संजय गुप्ता, एसएस निगम मौजूद थे।

सीए ऑडिट कराने के लिए नहीं मिला

संतोष गुप्ता ने कहा कि व्यापारियों को एक बड़ी राहत मिली है। अब एकाउंटेंट (सीए) से जीएसटी ऑडिट कराने की प्रणाली को समाप्त कर दिया गया है। अब केवल वार्षिक रिटर्न के भीतर, आकार 9C को पुस्तकों और रिटर्न से निपटान विवरण और देनदारियों के अंतर को प्रमाणित करने की आवश्यकता होगी।