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केंद्रीय जीएसटी ने हिसार और फतेहाबाद में 1500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी पकड़ी

केंद्रीय जीएसटी (माल और सेवा कर) ने हिसार और फतेहाबाद में 1500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी पकड़ी है। जीएसटी सबसे पहले बैंकों से गिफ्ट कार्ड खरीदकर और फिर कार्डबोर्ड बेचने के बाद चुराया गया। कार्ड की बिक्री पर रिफंड और कमीशन के लिए भी इसने करोड़ों रुपये तोड़े। सभी दस्तावेज फर्जी थे। मामले के भीतर, फतेहाबाद के भट्टू से उपहार कार्ड के एक सप्लायर के घर से बोरियों में रखे 950 मोबाइल फोन और 29 हजार सिम कार्ड मिले। यही नहीं, हजारों आईडी बरामद किए गए।

वर्तमान में, इस धोखाधड़ी के दौरान सात फर्मों के नाम सामने आए हैं। कुछ दिन पहले, एक वापसी के मामले की जांच के दौरान, एक फेकवेरा के सामने आने पर जांच शुरू हुई। इस रैकेट के मुख्य रूप से दिल्ली से संचालित होने का दावा किया जाता है। इस मामले के दौरान बैंकों की भूमिका अतिरिक्त रूप से संदेह के घेरे में है।

केंद्रीय जीएसटी, हिसार डिवीजन के सहायक आयुक्त सचिन अहलावत ने बताया है कि कुछ बैंक खातों की जांच की जा रही थी। इन खातों की संख्या में, पिछले आठ-दस महीनों के भीतर लगभग 1500 करोड़ के उपहार कार्ड खरीदे गए थे। एक बार जब उनकी पूरी जांच की गई, तो पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। सिम कार्ड खरीदने से लेकर आधार नंबर तक, गिफ्ट कार्ड की खरीदारी के लिए पेन नंबर नकली थे। तुरंत केवल सात फर्मों और एजेंसियों ने यह बिक्री और खरीद की है। जांच में कई बार फर्म और राशि का विस्तार होने की संभावना है। इसके साथ-साथ, फर्मों को भी नकली पाया गया है।

केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों ने कहा कि भारी निजी बैंक उपहार कार्ड जारी करते हैं। इस मामले से जुड़े लोगों ने बैंक से 10,000 रुपये का एक मौजूदा कार्ड खरीदने के लिए 9900 रुपये के लिए फॉक्स सिम और आईडी के विचार पर विचार किया। इसके बाद इन कार्डों का कारोबार किया गया। इसके अलावा, इन कार्डों को वितरकों को बेचा जाएगा। इसके बाद, वितरक या तो स्वयं कार्डबोर्ड को स्वाइप करता था और कमीशन लेता था या किसी फर्म को बेचता था और उसे स्वाइप करता था। जिसके खाते में कार्डबोर्ड स्वाइप किया गया था, कमीशन की राशि उसके पास चली गई होगी। ऐसा करके, इसने कारोबार और GST दोनों को दिखाया। पूरा खेल एक कमी और कमीशन पर चला। खास बात यह है कि गिफ्ट कार्ड किसी वस्तु या सेवा पर दिया जाता है, लेकिन इस मामले के दौरान न तो उत्पाद मिले और न ही सेवा दिखाई गई।

लॉकडाउन के दौरान बड़ा गोलमाल
तालाबंदी के दौरान करीब 250 करोड़ रुपये के लेनदेन का मामला सामने आया था। इस युग में स्कूटर और कारों के लिए पेट्रोल और डीजल की भारी बिक्री हुई। बिना किसी लेन-देन के स्वाइप मशीनों से नकदी का भुगतान दिखाया गया। जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि कम से कम एक प्रतिशत तक स्वाइप की बचत होती है। लेन-देन के बिना पचास लाख रुपये का स्वाइप एक दो मिनट के भीतर खाते में पांच हजार रुपये लाएगा। इस तरह से, फर्जी फर्मों ने भी जीएसटी चोरी करने के बाद रिफंड से करोड़ों रुपये कमाए।

दिल्ली से दुबई तक तार जुड़े हैं
विभागीय सूत्रों का कहना है कि एक व्यक्ति हिसार जीएसटी कार्यालय में धन वापसी की शिकायत करने पहुंचा। दुबई में संबंधित व्यक्ति उत्पादों को शिप करता है। जब इस खाते की जांच की गई, तो संबंधित व्यक्ति के खाते में स्वाइप करके लगभग तीन करोड़ रुपये जारी किए गए, जबकि उत्पाद बेचे नहीं गए थे। ऐसे ही एक व्यक्ति ने हिसार कार्यालय में धन वापसी के लिए आवेदन करते हुए गुरुग्राम से दिल्ली के लिए सामान भेजा। संबंधित युवक 25-30 साल का था। संबंधित युवा एक मानक परिवार से प्रतीत होते हैं, जबकि दिसंबर 2019 में उन्होंने 19 करोड़ की वापसी के लिए आवेदन किया था। जब संदेह के आधार पर जांच शुरू हुई, तो दिल्ली के एक व्यक्ति का नाम सामने आया।

मामले की जांच के बाद सब कुछ स्पष्ट होने वाला है सेंट्रल जीएसटी, रोहतक के कमिश्नर विजय मोहन जैन का कहना है कि जीएसटी के भीतर 1,500 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया है। पूरी रकम पर 18% जीएसटी चोरी हो गई। हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि नकली रिफंड किस अनुपात में लिया गया है। कंपनियां भी अस्तित्वहीन हैं। वर्तमान में, 1 करोड़ रुपये का जीएसटी एकत्र किया गया है। मामले की जांच के बाद सब कुछ स्पष्ट होने वाला है।