जीएसटी के तहत लॉटरी लाना वैध है
सुप्रीम कोर्ट ने लॉटरी और जुए पर उत्पाद और सेवा कर (जीएसटी) लगाने को वैध कर दिया है। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने लॉटरी डीलर स्किल लोट्टो सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि लॉटरी को ‘कमोडिटी’ की परिभाषा के तहत नहीं रखा जा सकता है।
लॉटरी कोई वस्तु नहीं बल्कि एक दावा योग्य दावा है। संविधान के अनुच्छेद 366 (12) के तहत, सामान अक्सर केवल सामग्री, वस्तुएं और लेख होते हैं।
ऐसे में लॉटरी को जीएसटी के दायरे में लाना असंवैधानिक है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया कि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के तहत लॉटरी और जुआ को जीएसटी के तहत लाने की अधिसूचना वैध है। पिछले साल दिसंबर में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में लॉटरी पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का विकल्प चुना गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के भीतर लॉटरी और जुए को शामिल करने को कानूनी करार दिया है। लॉटरी के भीतर पुरस्कार के अतिरिक्त कर लगाया जाता है। एक व्यक्तिगत लॉटरी कंपनी ने जीएसटी में लॉटरी को शामिल करने के सरकार के फैसले को चुनौती दी।
पिछले साल दिसंबर में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में 1 मार्च, 2020 से लॉटरी पर 28% जीएसटी लगाने का फैसला किया गया था। जीएसटी काउंसिल इस मुद्दे पर बेहद आलोचनात्मक थी। जीएसटी काउंसिल की बैठक के दौरान यह प्राथमिक समय था कि किसी समस्या पर बहुमत के फैसले से एक वोट का सहारा लिया जाना था।
इससे पहले, लॉटरी में कराधान में दो तरह की प्रणाली रही है। इसके तहत राज्य लॉटरी की बिक्री पर 12 प्रतिशत और राज्य के बाहर बिक्री पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया गया। 21 राज्यों ने 28 प्रतिशत की गति से GST लगाने का समर्थन किया, जबकि सात राज्यों ने इसका विरोध किया।
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