जीएसटी स्लैब, भुगतान और विवाद
मोदी सरकार ने देश के अंदर समान कानूनी व्यवस्था को लागू करने के लिए वर्ष 2017 के भीतर जीएसटी लागू किया। यह अक्सर एक कर होता है जो पूरे देश में किसी भी सामान या सेवाओं के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर लागू होता है। इसने उत्पाद शुल्क, केंद्रीय उपद्रव कर (सीएसटी), राज्य उपद्रव कर यानी वैट, प्रवेश कर, लॉटरी कर, स्टांप कर, दूरसंचार लाइसेंस शुल्क, टर्नओवर कर, बिजली और परिवहन के उत्पादों की बिक्री पर लगा कर समाप्त कर दिया।
जीएसटी कितने प्रकार के होते हैं
- सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी: यह केंद्र सरकार द्वारा वसूला जाता है।
- एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी: यह सरकार द्वारा एकत्र किया गया है।
- आईजीएसटी यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी: यदि कोई व्यवसाय दो राज्यों के बीच है तो उस पर कर लगता है। केंद्र सरकार इसे एकत्र करती है और इसे 2 राज्यों के बीच समान रूप से वितरित करती है।
- केंद्र शासित प्रदेश GST: सामान, सेवाएँ, या दोनों जो कि केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित हैं। यह केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया गया है।
जीएसटी क्यों लागू किया गया?
जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) को प्रत्येक नोडल बिंदु पर करों के एकत्रीकरण को बढ़ाने और एक समान जीएसटी कर-दर के माध्यम से देश को एकीकृत करने के लिए अपनाया गया था। राज्यों द्वारा व्यक्तिगत रूप से लगाए गए अप्रत्यक्ष करों की लंबी सूची को हटाने से और इसलिए केंद्र, भारतीय अर्थव्यवस्था को भी एक बड़ा बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने इन चार विधेयकों को पारित करने के बाद जीएसटी लागू किया। गुड्स एंड सर्विसेज बिल, इंटीग्रेटेड जीएसटी बिल, मुआवजा जीएसटी बिल और केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी बिल।
जीएसटी 4-स्तरीय कर स्लैब का अनुसरण करता है क्योंकि सरकार ने आवश्यक वस्तुओं और विलासिता दोनों पर एक समान कर दरों को लागू करना अनुचित पाया। इस प्रकार, भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर लागू जीएसटी कर स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% है। सामूहिक उपभोग के लिए खाद्यान्न, अंडे, गुड़, नमक, ब्रेड, आदि जैसी नियमित वस्तुएं किसी भी कर को आकर्षित नहीं करती हैं।
जीएसटी विवाद
जीएसटी मुआवजा विवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बाधित किया गया था। जिसके बाद पीएम ने जीएसटी मुआवजे का गहन विवरण मांगा। पीएम ने वित्त मंत्रालय से रिपोर्ट मांगी। बता दें कि जीएसटी मुआवजे को लेकर विवाद राज्यों के भीतर और बीच में चलता है। बता दें कि जीएसटी कानून के तहत, राज्यों को डोमिनियन डे, 2017 से जीएसटी लागू होने के पहले पांच वर्षों के भीतर राजस्व के नुकसान की भरपाई की गारंटी दी गई थी। लेकिन वितरण के प्रचलित फार्मूले के तहत, केंद्र सरकार राज्यों के जीएसटी को साझा करने की स्थिति में है। सक्षम नहीं है।
केंद्र ने जारी कर दिया है
36,400 करोड़ का जीएसटी मुआवजा। आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जून में राज्यों को 36,400 करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा जारी किया था। यह राशि दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 तक है। केंद्र सरकार पहले ही अप्रैल-नवंबर 2019 के बीच राज्यों को 1,15,96 करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा जारी कर चुकी है।
जुलाई में, केंद्र सरकार ने 13,806 करोड़ रुपये की अंतिम किस्त जारी की। जीएसटी परिषद को राज्यों को मुआवजे के भुगतान पर फिर से काम करने के लिए जुलाई में फिर से संतुष्ट करने के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि, यह बैठक अभी तक आयोजित नहीं की गई है। जीएसटी अधिनियम 2017 में संशोधन पर चर्चा जारी है।
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